राजनांदगांव (BTI) – राजनंदगांव सहित पूरे प्रदेश में आज नगरीय निकायों के लिए चुनाव होने जा रहे हैं और छत्तीसगढ़ की जनता अपने नगरीय निकायों के पार्षदों एवं महापौर एवं अध्यक्षों का सीधा मतदान द्वारा चुनाव करेगी।
पूरे प्रदेश में राजनांदगांव नगर निगम का एक अलग ही महत्व होता है क्योंकि इस क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जो वर्तमान में विधानसभा के अध्यक्ष है इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और जब से डॉ रमन सिंह ने राजनांदगांव से लोकसभा चुनाव लड़ा है और मोतीलाल जी वारा जैसे दिग्गज को हराया, उसके बाद से यह क्षेत्र राष्ट्रीय राजनीतिक मानचित्र में काफी चर्चित एवं प्रसिद्ध भी हो गया है।

उन्हें अटल बिहारी बाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री के पद से नवाजा गया था। सीएम चुने जाने के बाद उन्होंने डोंगरगांव से चुनाव लडा और विधायक बने। उसके बाद वे लगातार राजनांदगांव विधानसभा सीट से चुनाव जीतते आ रहे जिसके ही चलते पिछले 25 साल से 1998 से राजनांदगांव राजनैतिक के मामले में वीआईपी,हाई प्रोफाइल क्षेत्र बना हुआ है।
यही वजह है कि यहां का महापौर का चुनाव काफी दिलचस्प, मजेदार,एवं संघर्षपूर्ण व कांटेदार होता है और पूरे प्रदेश में इसे लेकर विशेष रुचि होती है।
राजनांदगांव से भारतीय जनता पार्टी ने मधुसूदन यादव को अपना महापौर प्रत्याशी घोषित किया है वहीं कांग्रेस ने अपने युवा चेहरे जो कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई की राष्ट्रीय सचिव भी रह चुके निखिल द्विवेदी को अपना प्रत्याशी बनाया है। दोनों अपनी अपनी जगह धुरंधर है लेकिन इस पूरे चुनाव के दरम्यान अधिकांश बातें भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के मजबूत होने के संकेत दे रही है।
हर मामले में भाजपा कहीं कम तो कहीं ज्यादा लेकिन आगे है और इसी लिहाज से भारतीय जनता पार्टी की जीत की लोग कयास लगा रहे है।
कांग्रेस के प्रत्याशी निखिल द्विवेदी जिस प्रकार से चुनाव लड़ रहे हैं और जिस दम खम से चुनाव लड़ रहे हैं वह अभूतपूर्व है क्योंकि उनके पास उनके स्वयं की एक छात्र शक्ति,सेना है जो भाजयुमो की बराबरी करती है या कहा जा सकता है कि भाजयुमो से कहीं भी कम नहीं लगती।
निखिल को शायद भान है कि 14 महीने पहले ही राजनांदगांव विधानसभा का चुनाव हुआ था जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खासमखास गिरीश देवांगन को डॉ रमन सिंह ने काफी लंबी मार्जिन से हराया था। भाजपा की इस जीत के पीछे युवा नेता भूतपूर्व सांसद अभिषेक सिंह सहित भारतीय जनता युवा मोर्चा की टीम की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका थी। जितनी मेहनत व कसरत उस समय भाजयुमो ने की थी उतनी की उतनी मेहनत व कसरत वही टीम आज फिर कर रही है।
निखिल द्विवेदी इस बात को समझते हुए इसकी काट में अपनी छात्र सेना को लगाकर रखे हैं और यह उनकी राजनैतिक सूझ व समझ का एक पॉजिटिव प्वाइंट कहा जा सकता है लेकिन संगठन स्तर पर निखिल को वह सहयोग नहीं मिल पा रहा है जैसा भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मधुसूदन यादव को मिलता नजर आ रहा है।
उनके साथ में एक दिक्कत यह है कि वे आम जनता के बीच में इतने घुले मिले नहीं है जितने कि उनके विरोधी भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी मधुसूदन।
मधुसूदन यादव भूतपूर्व सांसद भी रह चुके हैं और महापौर भी रह चुके हैं,नगर निगम में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं, और ऐसे उनकी कोई निगेटिव छवि भी नहीं बन पाई है।
स्वाभाविक एंटीइनकंबेंसी तो उनके खिलाफ हो सकती है। जब बनारस में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ हो सकती है तो उनके खिलाफ भी हो सकती लेकिन क्योंकि निगम की सत्ता में विगत् 5 वर्ष तक कांग्रेस काबिज रही इसलिये मधुसूदन के खिलाफ एक स्वाभाविक एंटीइन्कम्बेन्सी भी अप्रभावी समान ही है। हां, इतना जरूर है कि विपक्ष के लोग प्रचार कर रहे हैं कि बहुत दिनोँ से आप मधुसूदन यादव को देख रहे हैं, अब चेहरा बदले लेकिन यह ज्यादा असरकारक नहीं दिख रहा है।
क्योंकि वे पद में रह चुके हैं इसलिए उनके ऊपर भ्रष्टाचार के अपरोक्ष आरोप भी लगते हैं।
दूसरी बडी बात यहां पर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में यह है कि पार्टी के नेतागण अपनी-अपनी उपस्थिति दिखा रहे हैं। जो सेल्फ एसेसमेंट करके अपने आप को लाल बत्ती का हकदार समझते है वैसे लोग सडक में भी कभी कभी नजर आ रहे है।
भाजपा के पक्ष में एक बात बडी साबित हो रही है वो यह कि भूतपूर्व सांसद अभिषेक सिंह पूरे फार्म में बैटिंग कर रहे है। टारगेट लेकर 51 वार्ड के सभी पार्षद प्रत्याशीयों के साथ एक-एक वार्ड का भ्रमण करके जिस प्रकार से उन्होने जनसंपर्क किया है उसका काफी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है।
बहरहाल अब तो आज मतदान होगा और बस एक ही कवायद बच गई है कि आखिरकर कौन बनेगा राजनांदगांव का मेयर- भाजपा के M.Y अर्थात मधुसूदन या कांग्रेस के N.D. निखिल।