1.राजनांदगांव में महापौर चुनाव: भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला, निर्दलीय प्रत्याशी भी देंगे कड़ी चुनौती
2.भाजपा और काँग्रेस के बीच सीधा मुकाबला
3. निर्दलीय किसका खेल बिगाडेंगे।
पुरुषोत्तम तिवारी
राजनांदगांव (BTI): छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव नगर निगम महापौर पद के चुनाव में राजनीतिक सरगर्मियां चरम पर हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने-अपने प्रत्याशियों के नामांकन दाखिल कर दिए हैं। भाजपा ने इस बार अपने अनुभवी नेता और पूर्व महापौर मधुसूदन यादव को मैदान में उतारा है, जो वर्तमान में प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष भी हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस ने युवा चेहरे और छात्र राजनीति से आए निखिल द्विवेदी को मौका दिया है, जो भूपेश बघेल सरकार में पर्यटन निगम के सदस्य रह चुके हैं।
चुनाव की शुरुआत:
दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों ने नामांकन के अंतिम दिन अपने-अपने पर्चे दाखिल किए, जिसके साथ ही चुनावी रण की शुरुआत हो गई। पार्षद पदों के लिए भी दोनों दलों ने सभी 51 वार्डों से अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं।
भाजपा बनाम कांग्रेस:
भाजपा प्रत्याशी मधुसूदन यादव का राजनांदगांव की राजनीति में लंबा अनुभव है। 25 वर्षों से नगर निगम की राजनीति में सक्रिय यादव पर डॉ. रमन सिंह का मजबूत समर्थन है, जो उनकी लोकप्रियता और संगठन के भीतर उनकी पकड़ को दर्शाता है। यादव के नामांकन के समय स्वयं डॉ. रमन सिंह उनके साथ मौजूद थे और उन्होंने इसे सोशल मीडिया पर साझा कर स्पष्ट संकेत दिया कि यह चुनाव व्यक्तिगत से अधिक राजनीतिक प्रतिष्ठा का मामला है।
वहीं, कांग्रेस ने युवा नेता निखिल द्विवेदी को मैदान में उतारकर एक नई रणनीति अपनाई है। यह फैसला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की स्वीकृति के साथ हुआ है। माना जा रहा है कि टिकट वितरण के मामले में वरिष्ठ नेता कुलबीर छाबड़ा की जगह निखिल को प्राथमिकता देना कांग्रेस की युवा राजनीति को बढ़ावा देने का संकेत है।
तीसरे और चौथे मोर्चे की एंट्री से किसे नुकसान?
आप पार्टी ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हुए वरिष्ठ पत्रकार कमलेश स्वर्णकार को अपना प्रत्याशी बनाया है। उनके पास शहर के कई क्षेत्रों में प्रभाव है, जिससे यह देखना दिलचस्प होगा कि वे पारंपरिक राजनीति में कितना बदलाव ला सकते हैं।
इस बीच, निर्दलीय प्रत्याशी चंपू गुप्ता ने भी चुनाव को रोचक बना दिया है। 2020 के चुनाव में अपने पूरे परिवार को मैदान में उतारकर सुर्खियां बटोरने वाले गुप्ता ने इस बार फिर से स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
राजनांदगांव के पुराने चुनावी आंकडे बताते है कि यहां तीसरा पक्ष कम ही प्रभावी रहा है। 2009 में भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशीयों से उनकी ही पार्टी के लोगों की नाराजगी ने जरुर निर्दलीय विजय पांडे को विजयश्री दिलाई थी लेकिन फिलहाल यहां ऐसा किंचित मात्र भी नजर नहीं आता बल्कि तीसरी शक्ति समीकरण जरुर बिगाडती नजर आ रही है। ये किसे नुकसान पहुंचा रही है इसका आंकलन राजनैतिक विश्लेशकों ने शुरु कर दिया है।
क्या बनेगा मुकाबला डॉ. रमन बनाम भूपेश बघेल?
राजनांदगांव का यह चुनाव एक बार फिर भाजपा के डॉ. रमन सिंह और कांग्रेस के भूपेश बघेल के बीच सियासी जंग का रूप लेता नजर आ रहा है। डॉ. रमन सिंह के समर्थन से भाजपा प्रत्याशी मैदान में हैं, तो दूसरी ओर निखिल द्विवेदी को भूपेश बघेल की रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है।
आगामी दिनों में इस चुनाव के कई दिलचस्प पहलू और समीकरण सामने आ सकते हैं। वर्तमान परिदृश्य से यह स्पष्ट है कि राजनांदगांव की जनता को इस बार एक बेहद रोचक और कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।