बिलासपुर (BTI)- राजस्व मे सबसे आगे रहने वाला छत्तीसगढ़ स्थित बिलासपुर रेल मंडल महिला सशक्तिकरण मे किसी से कज्ञ नहीं है। मंडल रेल प्रबंधक श्री राजमल खोईवाल के मार्गदर्शन में मंडल में महिलाओं को आगे बढ़ाने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। रेलवे, जो हमेशा से राष्ट्र निर्माण की रीढ़ रहा है, अब महिलाओं को भी समान अवसर और नेतृत्व की भूमिकाओं में आगे बढ़ाने के लिए विशेष योजनाओं पर काम कर रहा है।

रेलवे में बढ़ती महिला भागीदारी: नई संभावनाओं का द्वार
मंडल में महिलाओं को विभिन्न तकनीकी और प्रशासनिक पदों पर अवसर प्रदान कर रहा है। आज, महिलाएँ केवल पारंपरिक भूमिकाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि लोको पायलट, स्टेशन प्रबंधक, टिकट चेकिंग, इंजीनियरिंग, आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल), ट्रैफिक कंट्रोल, वाणिज्यिक सेवाओं, स्वास्थ्य सेवाओं जैसे महत्वपूर्ण विभागों में अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं। रेलवे ने यह सुनिश्चित किया है कि महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में अवसरों से वंचित न रहें।
उल्लेखनीय है कि बिलासपुर मंडल में वर्तमान में 1090 महिला अधिकारी व कर्मचारी कार्यरत हैं जिसमें 05 राजपत्रित एवं 1085 अराजपत्रित श्रेणियों में कार्य करते है । ये सभी अधिकारी, कार्यालय अधीक्षक, वाणिज्य निरीक्षक, क्लर्क, टेक्नीशियन, प्वाइंटमेन, ट्रेकमेन, टिकट कलेक्टर, टिकट निरीक्षक, लोको पायलट, सहायक लोको पायलट, गार्ड, स्टेशन मास्टर जैसे विभिन्न पदों पर कार्य करते हुये रेल परिचालन में अपनी महति भूमिका निभाते हुये महिला सशक्तिकरण में मिशाल पेश कर रही हैं।मंडल में पदस्थ महिला कर्मचारियों ने रेलवे पर गर्व करते हुये महिलाओं को प्रेरित कर रही हैं –
लोको पायलट –

मंडल में पदस्थ लोको पायलट गीता साधू व खुशबू रानी बंछोर ने कहा “एक महिला लोको पायलट के रूप में, मुझे गर्व है कि मैं भारतीय रेलवे की इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को निभा रही हूं। यह कार्य न केवल तकनीकी कौशल की मांग करता है, बल्कि धैर्य और आत्मविश्वास भी आवश्यक है। शुरुआत में चुनौतियां थीं, लेकिन मैंने हर कठिनाई को अवसर में बदला। आज, मैं हर उस लड़की को प्रेरित करना चाहती हूं जो रेलवे में करियर बनाना चाहती है।
आरपीएफ (रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स)

महिला आरक्षक सीता अग्रवाल “आरपीएफ में महिला आरक्षक के रूप में सेवा देना मेरे लिए गर्व की बात है। हमारा कर्तव्य यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और रेलवे संपत्तियों की रक्षा करना है। महिला होने के नाते यह कार्य चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन हौसले और दृढ़ निश्चय से हर कठिनाई आसान हो जाती है। रेलवे में महिलाओं की भागीदारी दर्शाती है कि हम किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। मैं सभी महिलाओं से कहना चाहूंगी कि वे अपनी क्षमताओं पर विश्वास करें और अपने सपनों को साकार करने के लिए निरंतर प्रयास करें।”
टीटीई (ट्रैवलिंग टिकट एग्जामिनर)

टीटीआई शकीला बानो ने कहा “टीटीई के रूप में कार्य करते हुए, मैंने कई अनुभवों का सामना किया है, लेकिन यह नौकरी मुझे आत्मनिर्भर और सशक्त महसूस कराती है। महिला होने के नाते, चुनौतियां भी आईं, लेकिन रेलवे ने मुझे अपनी काबिलियत साबित करने का अवसर दिया। आज, मैं गर्व से कह सकती हूं कि महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के समान योगदान दे रही हैं। मैं सभी महिलाओं से कहना चाहती हूं कि आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें और अपने सपनों को साकार करें।”
टिकट बुकिंग क्लर्क
वाणिज्य लिपिक विनीता श्रीवास, डी दिव्या ने बताया “रेलवे में टिकट बुकिंग क्लर्क के रूप में काम करते हुए, मैं प्रतिदिन हजारों यात्रियों से मिलती हूं और उनकी यात्रा को सुविधाजनक बनाने में योगदान देती हूं। महिला होने के कारण कई बार चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन मेहनत और समर्पण से हर बाधा को पार किया जा सकता है। रेलवे में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, और यह सशक्तिकरण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
कार्यालय लिपिक (ऑफिस क्लर्क)
मुख्य कार्यालय अधीक्षक डी ज्योति देव ने कहा “एक महिला कार्यालय अधीक्षक के रूप में, मैं रेलवे के प्रशासनिक कार्यों को संभालने में गर्व महसूस करती हूं। यह नौकरी न केवल मेरी आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करती है, बल्कि मुझे रेलवे के संचालन का हिस्सा बनने का अवसर भी देती है। महिलाएं अब हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और रेलवे इसका सशक्त उदाहरण है।
महिला कर्मचारियों को प्रोत्साहित-
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक श्री अनुराग कुमार सिंह ने बताया कि रेलवे ने महिलाओं को बढ़ावा देने और उनके करियर ग्रोथ के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिसमें –
विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम: रेलवे में भर्ती होने वाली महिलाओं को विशेष तकनीकी और प्रबंधन प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे आधुनिक रेलवे तकनीकों में निपुण बन सकें।
सुरक्षा और सुविधाएँ: रेलवे ने कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीसीटीवी, महिला हेल्पलाइन, और बेहतर कार्य-परिस्थितियाँ उपलब्ध कराई हैं।
ट्रेनों का संचालन: रेलवे ने महिला लोको पायलट और सहायक लोको पायलट की तैनाती कर ट्रेनों का संचालन महिलाओं के हाथों में सौंपा है, जिससे उनकी कार्यक्षमता और नेतृत्व क्षमता को बढ़ावा मिला है।
कार्यस्थल पर समावेशिता: रेलवे महिलाओं को मातृत्व अवकाश, फ्लेक्सिबल वर्किंग ऑवर्स और डे-केयर सुविधाएँ देकर उनके कार्य-जीवन संतुलन को मजबूत बना रहा है।
बिलासपुर मंडल भारतीय रेलवे के इस महिला सशक्तिकरण अभियान को निरंतर आगे बढ़ाने के लिए संकल्पित है। यह पहल “सबका साथ, सबका विकास” की भावना को मजबूत करती है और “नारी शक्ति, रेलवे की प्रगति” का संदेश देती है।