भारत के स्वाभिमान को छेडने वालों के घरों में चील कौंए मंडराएंगे
कालजयी होगा उनका यह भाषण – अटल मंच
(बात की बात)

सुधांशु त्रिवेदी ने अभी हाल ही में राज्यसभा में जो अपना भाषण दिया उसकी एक 2 -3 मिनट की क्लिपिंग एक्स में पोष्ट की है।
समझदार को इशारा काफी वाली बात उनके द्वारा की गई है और यदि हमारा अनुमान सही है तो उन्होंने इतनी बड़ी बात कह डाली कि आज तक इस बिंदु पर पार्लियामेंट में शायद ही किसी ने कही हो।
हम स्तब्ध रह गए उन्हे सुनकर कि किस तरह से उन्होने अपने विरोधियों के भारत के स्वाभिमान विरोधी बात किए जाने को सीधे सपाट न कहकर इशारे में एक बहुत बडा पाप बता दिया और उसका दुष्परिणाम भी गिना दिया कि ऐसे लोगों के घरों में चील और कौंए मंडराएंगे।
यदि हमारी समझ सही है तो उन्होंने सीधा-सीधा कांग्रेस के एवं अन्य सनातन विरोधी नेताओं एवं पार्टियों को इतनी बड़ी बात कह दी कि वह भारत के स्वाभिमान को ललकारना बंद करें नहीं तो उनकी हालत यह हो जाएगी और वे इतना पछताएंगे कि उनके घरों में चील और कौवे मंडराएंगी। इसका साफ साफ एक बडा अर्थ व भावार्थ यह भी निकलता है कि आने वाले वर्षों में ऐसे लोगों का कोई नामलेवा भी नहीं मिलेगा।
हालांकि कानूनी एवं तार्किक दृष्टिकोण से इस बात को भाजपा द्वारा आसानी से झुठलाया जा सकता है लेकिन हमारे हिसाब से तो इसका अर्थ या भावार्थ यह भी निकाला जा सकता है जो हमने ऊपर बताया है।
अपने भाषण में उन्होने विपक्षियों को भारत के स्वाभिमान को न छेडने की नसीहात् देते हुए मानो भाजपा के 2047 के एजेण्डे की आखिरी लाईन पढ दी। उन्होने कहा कि भारत के स्वाभिमान से अगर खिलवाड़ करोगे तो बहुत पछताओगे। आगे उन्होने काव्य रुप में गाकर मां भवानी की कसम का उल्लेख कर कहा कि — बार बार छेडिये ना भारत स्वाभिमान को,अन्यथा बाद में बहुत पछताएंगे,सौगंध माँ भवानी की उठेगी ललकार जब,आपके घरो मेँ चील कौंए मँडराएंगे।
उल्लेखनीय है कि भारत एक हिन्दु बहुसंख्यक व सनातन संस्कृति का पूरे विश्व में एक इकलौता राष्ट्र है और इसके साथ एक बहुत बडी विडंबना रही है कि यह देश पुरातन काल से ही लालची भेडियों व गद्दारों का दंश झेलते आ रहा है। यहां माफ करने व स्वाभिमान की संस्कृति ने आताताईयों को पनपने का मौका दिया। पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गजनी को परास्त के बाद परास्त किया और माफ भी कर दिया लेकिन आखिरा गजनी ने क्या किया। जयचंद जैसे गद्दार ने कैसे उन्हे गजनी के हवाले किया जिसने उनकी दोनों आँखों में गरम सलाखे डाल कर यातना दी। इसके बाद गजनी ने दिल्ली में राज किया और आतंक व क्रुरता का यह खेल फिर लंबा चला।
ऐसे गद्दारों से हमारा इतिहास भरा है और आज तो ऐसे लोग गली गली में कुकुरमुत्तों की तरह फैले हुए है और चंद पैसों और सत्ता की लालच में अपनों की ही मां बहन करते देखे जाते है। भारतमाता,भारत देश,हमारे देवी देवता,भगवान,हमारी संस्कृति,हमारे त्यौहारो पर ये लोग ऐसी टिप्पणी करते है जैसे ये हिन्दू नहीं बल्कि आतताईयों की औलादे है।
कल जो राज्य सभा में सुधांशु त्रिवेदी ने कहा वो हमारी दृष्टि से ऐसे लोगों को ही उन्होने सीधे तौर पर इंगित करते हुए समझाना चाहा है जो सत्ता के लिए इतना घिनौना पाप कर रहे है। स्थानीय स्तर पर हिंदुवादी नेता व अटलमंच के संस्थापक अध्यक्ष प्रेमचँद शर्मा, और मंच के प्रेरकगणों,श्यामु व पुरषु महाराज ने तो उनके सुधांशु त्रिवेदी के इस भाषण को कालजयी बताते हुए कहा है कि यह सुधांशु जी की नहीं बल्कि करोडों अरबों सनातनियों की आत्मा की आवाज है।