( निर्दलियोँ से भाजपा को ज्यादा नुकसान )
राजनांदगांव (BTI)– राजनांदगांव नगर निगम के लिए आज मंगलवार को मतदान होना है। राजनांदगांव जैसी महत्वपूर्ण एवँ प्रदेश के लोगों के लिए विशेष रुचि वाली इस सीट पर मजेदार चुनाव होने जा रहा है।
यहां ऐसे तो सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस के बीच में है लेकिन निर्दलीयों की प्रभावी उपस्थिति ने इस पूरे चुनाव को बड़ा ही दिलचस्प बना दिया है।

राजनीतिक पंडित भी इस बात का आँकलन नहीं कर पा रहे हैं कि निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव में कितना असर डालेंगे और किस पार्टी का ज्यादा वोट काटेंगे या कहो कि किसका खेल बिगाडेंगे।
चूंकि भारतीय जनता पार्टी को मिलने वाले मतों का प्रतिशत विगत चुनाव में लगातार ज्यादा रहा है इसलिए अनुपात की दृष्टि से यही माना जा सकता है कि निर्दलीय प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी के वोट ज्यादा कटेंगे। राकेश ठाकुर ने राम मंदिर उद्घाटन दिवस पर लोगों को दिये जलाने का आग्रह व अभियान चलाकर सनातन प्रेमियों में घुसपैठ की थी और अब उनके चुनाव में खडे होने से भाजपाई वोट ज्यादा कटने की आशंका है।

अब यहां पर देखने वाली बात या जन चर्चा में जो ज्यादा प्रचलन मेँ है वह यह है कि निर्दलीय प्रत्याशी आखिर किस मकसद के चुनाव मैदान में उतरे है।
इनमें पहला व प्रमुख नाम है राजेश गुप्ता उर्फ चम्पू गुप्ता और दूसरा है राकेश ठाकुर जो स्वयंभू दिया वाले बाबा बन चुके है। गत् वर्ष अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन के अवसर पर शहर मेँ दिया प्रज्जवलन व प्रेस में समाचार छपवाकर अपनी पहचान बनाने वाले राकेश ठाकुर का मकसद समझ से परे था लेकिन जब वे मीडिया के समक्ष भाजपा के व भाजपा प्रत्याशी के वादे पर विपरीत प्रतिक्रिया देते है तो लोग भी अचंभित हो जाते है कि राम भक्त,सनातनप्रेमी और वह भाजपा विरोधी।
दूसरे निर्दलीय प्रत्याशी चंपू गुप्ता है। उनके बारे में उनके पुराने इतिहास से यह माना जा सकता है कि वे चुनाव लड़ने के शौकीन है,या सचमुच में जनसेवा उनका ध्येय है। वे चुनाव भी दमखम से लडते है। गत चुनावा में पार्षद चुनाव जीते थे और उसके पहले उनकी मां वहां की पिर्षद रही है। वे मीडिया के समक्ष भाजपा व कांग्रेस पर स्वयं को बदनाम करने का आरोप भी लगाते दिखते है जिससे उनके चुनाव लडने का मकसद भी समझ आता है।

हम यहां चुनाव के दिलचस्प होने की बात सिर्फ इसलिए कर रहे हैं क्योंकि दोनों ही प्रत्याशी काफी दमदार एवं मनोरंजक तरीके से चुनाव लड़ते दिख रहे हैं।
हालांकि आम जनता में जो राजनांदगांव में फिलहाल मूड देखा गया है वह यह है कि आम जनता पार्टी भारतीय जनता पार्टी या कांग्रेस को ही वोट देना चाहती है और निर्दलीयों को वोट देकर अपना वोट खराब नहीं करना चाहती लेकिन इन लोगों ने जिस प्रभावी ढंग से अपनी रैलियां निकाली और अंतिम दिन चुनाव प्रचार में जो ढोल नगाड़ों के साथ में जो उन्होंने जो रैली निकाली वह संख्या के लिहाज से ऐसी लग रही थी मानो कोई राष्ट्रीय पार्टी की रैली हो।
इससे ऐसा लग रहा है कि ये दोनों सामान्य अनुमान से ज्यादा वोट पाकर चुनाव के समीकरण को गड़बडा सकते हैं।
चंपू गुप्ता अपने समर्थकों व कार्यकर्ताओं के साथ पूरे शहर में सड़क में झाड़ू लगाकर और उनके कार्यकर्ताओँ ने उनका चुनाव चिन्ह सिटी है तो सीटियां बजा बजाकर पूरे शहर में निकलकर लोगों से जन समर्थन मांगा है।
इसी प्रकार से राकेश ठाकुर भी काफी संख्या में लोगों को लेकर जूलूस निकालते रहे हैं और अंतिम दिन उन्होंने भी बहुत जमकर शक्ति प्रदर्शन किया।
इन निर्दलीय प्रत्याशियों के मीडिया के सामने जो बयान आ रहे हैं वे तो भाजपा के विरुद्ध ज्यादा लग रहे है।
चंपू गुप्ता के एक बयान से ऐसा लगता है कि वे नाले वाले भ्रष्टाचार की बात करके भाजपा प्रत्याशी के विरुद्ध बात कर रहे है और इसी प्रकार से राकेश ठाकुर भी मधुसूदन यादव के स्मार्ट सिटी की परिकल्पना वाली बात पर जबरदस्त कटाक्ष करते है और इसको वह मजाक उड़ाते हुए दिख रहे हैं। वे यह भी कह रहे हैं कि भाजपा निगाम में 20 साल तक सत्ता में रहे तो बताए वे ऐसा क्या कर पाए।
बहहाल विशेष उल्लेखानीय तो यह है कि यदि निर्दलीय चंपू गुप्ता एवं राकेश ठाकुर चुनाव मैंदान में नहीं होते तो यहां का चुनाव भले ही संघर्षपूर्ण या हाई प्रोफिईल होता लेकिन नीरस भी होता। इन दोनों के चुनाव लडने के अंदाज ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया।